Female Reproductive System – 7 Important Organs and their functions (महिला के प्रजनन प्रणाली – 7 महत्वपूर्ण अंग और उनके कार्य) कार्य)- महिला प्रजनन प्रणाली आंतरिक अंगों और बाहरी संरचनाओं से बनी होती है. महिला के प्रजनन अंग उसके पेट के निचले हिस्से (पेडू या Pelvis) में स्थित होते हैं और योनिद्वार से शरीर के बाहर खुलते हैं. आइये हम निचे दिये गये कुछ चित्रो के माध्यम से इनको समझते हैं.

Female Reproductive System and their functions
1- योनिद्वार (Veginal Opening) व हायमन (Hymen)
योनिद्वार महिला के प्रजनन अंगों का मार्ग है जो मूत्रद्वार (urethra) व मलद्वार (anus) के बीच में होता है . इसे एक पतली सी झिल्ली (हायमन) थोड़ा सा ढके रहती है .
2- क्लाइटोरिस (Clitoris)
यह मूत्रद्वार के थोड़ा ऊपर एक छोटे से दाने जैसा नरम, मांसल अंग होता है. जो महिलाओ में यौन उत्तेजना का केंद्र बिंदु हैं .
3- योनि ( वैजाइना Vagina)
योनिद्वार से शुरू होकर गर्भाशय (Uterus) तक जाने वाला मार्ग इसी मार्ग से मासिक धर्म (menstruation or menses) के समय रक्त बाहर निकलता है, इसी रास्ते से सहवास किया जाता है और प्रसव के समय बच्चा भी इसी मार्ग से बाहर आता है.

4- गर्भाशय का मुँह या सर्विक्स (Cervix)
योनि के ऊपरी भाग में गर्भाशय का संकरा निचला हिस्सा सर्विक्स, स्थित होता है जिसे बच्चेदानी का मुंह भी कहते हैं .
5- गर्भाशय या बच्चेदानी (यूटरस Uterus)
पेड़ू के अन्दर नाशपातीआकार का एक अंग होता है जिसे बच्चेदानी कहते हैं. यह अन्दर से खोखली होती है गर्भावस्था के दौरान बच्चा इसी में पलता है. गर्भाशय की सबसे अन्दरूनी परत को एण्डोमेट्रियम कहते हैं. यह परत हर महीने की तैयारी के लिये मोटी और गददार हो जाती है और अगर गर्भ नहीं ठहरता तो यही परत टूटकर
माहवारी के रूप में योनि के रास्ते बाहर निकलती है.
6- दो नलिकाएँ या फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tube)
गर्भाशय के ऊपरी भाग से दो पतली नलिकाएं निकलती है जिनके खुले सिरे चौड़े होते है. ये अंडाशय से गर्भाशय तक अंडा पहुंचाती है. नलिका में ही शुक्राणु अंडे से मिलता है व उसे निशेचित करता है. इस प्रक्रिया को फर्टिलाइजेशन कहते है.
7- दो अण्डाशय या बीजदानी (Ovary)
महिला के पेडू में बादाम के आकार के दो छोटे अंग होते हैं जिन्हें अण्डाशय कहते हैं. इनमें कई अपरिपक्व यानि कच्चे अंडे या डिंब होते हैं जो हर माह एक एक करके परिपक्व होते हैं और अण्डाशय से बाहर निकलते हैं. अण्डाशय में ही दो महिला हार्मोन भी बनते हैं जिन्हें इस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन कहते है.
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अंडा विसर्जन की प्रक्रिया (Ovulation)

महिला के शरीर में हर महीने किसी एक अंडाशय यानि बीजदानी में एक अंडा विकसित (मैच्योर) होता है और फिर उससे बाहर निकल आता है. कभी कभार एक माह में एक से अधिक अंडों का विसर्जन हो सकता है.
इस प्रक्रिया को अंडा-विसर्जन या ओव्यूलेशन कहते है.
अंडे को फैलोपिअन ट्यूब का चौड़ा सिरा पकड़ लेता है, और अंडा नलिका में आ जाता है. फिर वह धीरे धीरे गर्भाशय की ओर जाने लगता है. अंडा-विसर्जन होने पर ही महिला गर्भवती हो सकती है. उस समय सहवास होने पर कोई एक शुक्राणु अंडे को निशेधित कर सकता है .

माहवारी की प्रक्रिया ( Menstruation Process)

हर महीने महिला का शरीर गर्भ की तैयारी करता है: • उसके अंडाशय यानि ओवरी में एक अंडा तैयार होता है और उसके गर्भाशय की नलिका में पहुंच जाता है. साथ ही उसके गर्भाशय की अंदरूनी परत में खून जमा होता है ताकि अगर गर्भ बैठ जाए तो उस खून से बच्चा विकसित हो सके अगर गर्भ नहीं बैठता तो यह परत टूट जाती है और उसमें जमा खून माहवारी के रूप में शरीर से बाहर आता है.
हर महीने फिर गर्भ की तैयारी होती है और यही चक्र चलता है . अगर किसी माह गर्भ बैठ जाता है तो बच्चा गर्भाशय में पलने लगता है और इसीलिए माहवारी आना बंद हो जाती है .
माहवारी के दौरान सफाई रखने का महत्व
माहवारी महिलाओं के शरीर की एक सामान्य व महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इस समय महिला के शरीर से रक्तस्राव होता है इसलिए शरीर की सफाई रखना बहुत जरूरी है. अगर महिलाएं माहवारी के दौरान सफाई रखे तो वे बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे जननांगों में संक्रमण से बच सकती हैं.
माहवारी का खून शरीर के अन्दर से साफ आता है पर बाहर आकर सफाई की कमी होने से गन्दा हो जाता है. जैसे दूध ज्यादा देर तक बाहर रखने पर खराब हो जाता है, इसी प्रकार खून बाहर आने के बाद गंदे कपड़े के इस्तेमाल से या बहुत देर तक पैड / कपड़ा न बदलने से सड़ने लगता है. सड़े हुए खून में कीटाणु जल्दी पनपते हैं जिनसे जननांगों में संक्रमण हो सकता है . ऐसा होने पर महिला को पेशाब में जलन, योनि मार्ग में खुजली बदबूदार साव आना जैसी शिकायतें होती है.
माहवारी की प्रक्रिया को हमारे समाज में बहुत ही गन्दा एवं अपवित्र माना जाता है, इसके दौरान महिलाओं पर कई प्रकार की सामाजिक रोक टोक रहती है जैसे नहाने की मनाही . यह उचित नहीं है. यदि सफाई रखी जाये तो बहुत सी समस्याओं से बचा जा सकता है.
माहवारी के दौरान सफाई कैसे रखें
• साफ पैड या सूती कपड़े का प्रयोग करें
• एक पैड या कपड़े को बहुत देर तक प्रयोग न करें, उसे जल्दी-जल्दी बदलें (दिन में तीन-चार बार)
• गीले कपड़े का प्रयोग न करें, धूप में सूखा साफ धुला सूती कपड़ा ही प्रयोग करें
• माहवारी के दौरान भी हर रोज़ जरूर नहायें व धुले हुए साफ कपड़े ही पहनें
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